Thursday 7 July 2016

देव को 'आशीष'

                                       
                                
                                             "मेरे पास उत्तेजित होने के लिए कुछ भी नहीं है
                                                  न कोकशास्त्र की किताबें, न युद्ध की बात
                                                  न गद्देदार बिस्तर, न टाँगें, न रात,चाँदनी
                                         कुछ भी नहीं... " ये सुदामा प्रसाद पांडेय [धूमिल] कहते है जिनके पास उत्तेजना के लिए कुछ भी नहीं पर जिनके पास उत्तेजित होने के लिए सब कुछ है वो क्यों सुर्ख़ियों में हैं ? अरे उनकी कामुकता के चर्चे बाज़ार में यूँ आम हुए जैसे कोई सेठ घरवाली के बाहर जाते ही नौकरानी संग रास रचाता पकड़ लिया जाता है। पकडे जाने के बाद 'देव' दुहाई देता है ... भगवान जानता है सच क्या है ? अरे साहब हर गुनहगार की एक ही दलील होती है " मुझे साजिश के तहत फँसाया गया हैं, मैं बिल्कुल निर्दोष हूँ।"  
       जून बीत गया था, बस आखरी तारीख निकल जाती तो शायद बदनामी का चन्दन माथे पर नहीं लगता। संस्कारधानी [बिलासपुर] में क़ानून के जानकार और पुलिस महकमें के बड़के साहब यानि रेंज के महानिरीक्षक पवन देव अक्सर छेड़खानी करते रहें हैं। आज के अख़बार कहते हैं जहां रहे छेड़छाड़ की। शिकायतें  और उनकी महिलाओं से बे-तक्लुफि के कई किस्से राज्य के पुलिस मुख्यालय में हैं। हर बार देव ने भगवन के हवाले से कह दिया साजिश का शिकार हो गया। इस बार के वाक्ये को सुनने और सिलसिलेवार घटनाक्रम की कड़ियों को जोड़ने पर मुझे भी लगता है 'देव' को किसी ने छेड़छाड़ में फंस जाने का 'आशीष ' दे दिया। ३० जून के अखबारों ने बताया बिलासपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक पवन देव पिछले दो साल से एक महिला आरक्षक को छेड़ रहें हैं। अक्सर साहब अपने रुतबे को सामने रख अश्लीलता के किस्से मोबाईल के जरिये महिला आरक्षक को सुनाया करते थे। बंगले बुलाना, खूबसूरत फिगर की तारीफ़ कर प्यार करने की बातें अक्सर हुआ करती थीं, फिर उस रात ऐसा क्या हुआ जो साहब की नशीली आवाज सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुँच गई ? इतना ही नहीं आधी रात को बंगले बुलाने की गुस्ताखी थाने के रास्ते राज्य महिला आयोग तक पहुँची । आरोप लगा रही महिला आरक्षक ने सरकार की चौखट पर दस्तक दी तो जांच की बात कहकर तबादले की गाज गिराकर देव को पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया। अब देव राजधानी में हैं, इस तरह के मामलों में पहले भी मुख्यालय में लूप लाइन वाली कुर्सी पा चुके हैं। साहब पर जिस दिन आरोप लगाया गया उसके एक दिन पहले ही उन्होंने पदानवत किये गए उपनिरीक्षक आशीष वासनिक को सेवा से बर्खास्त किये जाने का आदेश जारी किया था। सवाल और संदेह आशीष की ओर इशारा करते हैं, आरोपों से घिरे साहब भी उसी की करतूत मानते हैं। महिला आरक्षक भी मीडिया को दिए बयान में बर्खास्त पुलिस कर्मी वासनिक से घनिष्ट सम्बन्ध होना स्वीकार कर चुकी है। सवाल आखिर तीन साल से साहब की छेड़छाड़ और अश्लीलता को बर्दाश्त करने वाली महिला अचानक रुष्ठ क्यों हो गई ? जांच का विषय है, निष्पक्ष हुई तो कई करतूतों के साथ चेहरों से मुखौटे हट जाएंगे। 
      ये महज एक नाम है जिसका चेहरा आपसी खींचतान के चलते बेनकाब हो गया । पवन देव का कार्यकाल सुर्ख़ियों में रहा है, आशीष की कार्यशैली से विभाग और मित्र वाकिफ़ ही हैं । किसी ने सच ही कहा है पुलिस वालों की दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी । राज्य में कई प्रशासनिक अफसरों के चेहरे महिलाओं की अस्मत से जुड़े मामलों को लेकर सामने आते रहें हैं । कईयों ऐसे प्रसासनिक अफ़सर हैं जिनको इज़्ज़त की नज़रों से नही देखा जाता क्योंकि 'जिस्म' उनकी जरूरत बन चुकी है । प्रशासनिक ओहदे की आड़ में ऐसे अफसरों  की भूख मिटती रहती है और इन तक पहुँचने या पहुंचाने वाली महिलाओं की तरक्की के रास्ते एकाएक खुल जाते हैं । राज्य में बड़े पदों पर आसीन कई चेहरें दिन के उजाले में जितने सलीकेदार दिखाई पड़ते हैं दिन ढलते ही या मौक़ा मिलते ही उनकी नंगी मानसिकता खुलकर सामने आ जाती है । सवाल दिमागी नग्नता का नही बल्कि उस दोहरे चरित्र का है जो समाज की भीड़ में कुछ और कहता है और अकेले में उसी इज़्ज़त का वस्त्र उतारकर अपनी हवस मिटाने पर आमादा दिखाई पड़ता है । कुछ अफसरों की सादगी, समाज को लेकर उनका नजरिया, महिलाओं के प्रति उनकी सोच और सार्वजनिक मंच से ज्ञान बघारने का शोर अक्सर हमको भ्रमित कर देता है । हकीकत जब सामने आती है तो मालूम होता है फलां साहब भी.... शौक़ीन हैं। देव साहब का शौक अब सार्वजनिक है । कुछ और नाम है जो पहले ही नाम कमा चुके हैं ।  देखते हैं पवन के मामले में बैठाई गई जांच कितने दिनों में सामने आती है और सच के कितने करीब होगी ? 

11 Comments:

At 7 July 2016 at 06:12 , Blogger 36solutions said...

ऊँचे लोग ऊँची पसंद

 
At 7 July 2016 at 22:38 , Blogger It's Me Gauri said...

Very nice 👌

 
At 7 July 2016 at 22:38 , Blogger It's Me Gauri said...

Very nice 👌

 
At 7 July 2016 at 23:33 , Blogger ब्लॉ.ललित शर्मा said...

गंदगी सभी जगह भरी है, जहां से ढकना उठ जाए दिखाई देने लगती है।

 
At 7 July 2016 at 23:48 , Blogger Unknown said...

A6i pahal h bhaiya ji

 
At 8 July 2016 at 00:24 , Blogger Rupesh kumar verma said...

Ekdam dhasu

 
At 8 July 2016 at 00:36 , Blogger Unknown said...

महिला आरक्षक ने इसी समय को शिकायत के लिए क्यों चुना? बर्खास्त सब इंस्पेक्टर के साथ उसके रिश्ते कैसे हैं और वह इतने सालों तक बर्दाश्त क्यों करती रही जैसे सवाल आई जी के बचाव में उठाए जा रहे हैं। कुछ ने तो उन्हें कोल माफिया और सूदखोरों के लिए सिंघम भी साबित करने की कोशिश की है। यह भी गौर करने की बात है कि आई जी ने महिला के साथ अपनी मुलाकात, बातचीत आदि से इनकार नहीं किया है। एक आई जी का सिपाही से सीधे संवाद करने का क्या तुक है? जांच का नतीजा देखा जाए।

 
At 8 July 2016 at 01:10 , Blogger todaychhattisgarh said...

This comment has been removed by the author.

 
At 8 July 2016 at 01:12 , Blogger todaychhattisgarh said...

मुझे जरा भी अफ़सोस नहीं है थोडा मानसिक स्तर पर तरस आता है । इस मामले में कई लोगों की राय सामने आई, ज्यादातर लोगों ने पवन देव के समर्थन में कहा । कुछ सीधा कह गए, कुछ ने घुमाकर लिखा । मंशा सभी की एक सी नज़र आई । बहुत से मित्रों ने बताया पवन देव ने सूदखोरों और कोयला का अवैध कारोबार करने वालों के साथ साथ अपराधियों पर नकेल कसी । मान लेते है, साहब सभी की नकेल हाथ में रखते थे । मुझे जहां तक जानकारी है वो पुलिस का काम है जिसके एवज में सरकार से तनख्वाह मिलती है । कुछ अलग नहीं था, ड्यूटी से हटकर । हाँ साहब के पैरोकारों ने ये जरूर बताया पवन के जाने से पुलिस फिर से बेलगाम हो जायेगी । कोयला, सूदखोरों से मासिक शुल्क वसूल करेगी । मतलब साहब कर्मठ थे बाकी पुलिस वाले ....?

 
At 8 July 2016 at 01:27 , Blogger todaychhattisgarh said...

इन जैसे लोगों की गंदगी को कुछ लोग शौक़ीन मिज़ाजी से जोड़कर देखते हैं । कुछ का तो कारोबार चल रहा है गंदगी की आड़ में ।

 
At 8 July 2016 at 12:20 , Blogger Sunita Sharma said...

किसकी गलती, कौन गुनाहगार,
सबके अपने अपने विचार ।

 

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